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सूचना शाखा

सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0

(राज्यपाल सूचना परिसर)

राज्यपाल की अध्यक्षता में प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु 38 समझौता ज्ञापनों पर हुआ हस्ताक्षर
राज्यपाल को तीन विश्व कीर्तिमानों हेतु प्रमाण पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया गया
राज्यपाल ने विद्यार्थियों में पठन-पाठन की आदत विकसित करने, सकारात्मक अध्ययन वातावरण निर्मित करने तथा बारहवीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया
हमारे विश्वविद्यालयों की लाइब्रेरियों में उपलब्ध पांडुलिपियां यह प्रमाणित करती हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने अत्यंत उच्चकोटि का शोध कार्य किया था, जिसे आज पुनः जागृत करने और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है
ज्ञान और शोध के क्षेत्र में सूचना की सहज उपलब्धता आज के युग की आवश्यकता है
किसान, महिलाएं, बच्चे, ग्रामीण क्षेत्र, स्वास्थ्य, रक्षा और समाज से जुड़ी वास्तविक समस्याओं की पहचान कर उनका समाधान खोजने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को गंभीर शोध कार्य करने की आवश्यकता है
माननीय राज्यपाल, श्रीमती आनंदीबेन पटेल

लखनऊ : 22 जुलाई, 2025

प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विष्वविद्यालयों की कुलाधिपति/कुलाध्यक्ष श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु 38 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालयों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क सेवाओं की सुविधा को विस्तार देने और पुस्तकालयों एवं रिसर्च संसाधनों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।

इसके अतिरिक्त राज्यपाल जी को तीन विश्व कीर्तिमानों हेतु प्रमाण पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित भी किया गया। राज्यपाल जी के प्रेरणादायी नेतृत्व में प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और उनके द्वारा गोद लिए गए गांवों तथा अन्य स्थानों पर आयोजित जनसहभागिता आधारित ऐतिहासिक कार्यक्रमों की उपलब्धियों में प्रथम 21 जून, 2025 को आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर सूर्य नमस्कार कार्यक्रम है, जिसमें प्रदेश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों, शिक्षकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित कुल 14,02,597 प्रतिभागियों ने एक साथ प्रतिभाग किया, जो एक अभूतपूर्व योग आयोजन बनकर विश्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। द्वितीय उपलब्धि "पढ़े विश्वविद्यालय बढ़े विश्वविद्यालय" एवं "पढ़े महाविद्यालय बढ़े महाविद्यालय" अभियान के अंतर्गत 15,77,960 प्रतिभागियों द्वारा पुस्तक पठन किया गया, जिसमें विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं उनके गोद लिए गांवों के नागरिकों एवं अन्य ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। यह सामूहिक पठन अभियान भी एक वैश्विक कीर्तिमान के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। तृतीय उपलब्धि "दहेज मुक्त भारत" एवं "नशा मुक्त भारत"

की दिशा में लिया गया सामूहिक संकल्प है, जिसमें 16,05,847 प्रतिभागियों ने एक साथ शपथ ली। इस जन-जागरूकता पहल ने भी विश्व कीर्तिमान स्थापित कर प्रदेश को गौरवान्वित किया। इन तीनों ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिए राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल को तीन विश्व रिकॉर्ड बनाने हेतु सम्मानित किया जाना न केवल उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह उनके दूरदर्शी, प्रेरणास्पद एवं समर्पित नेतृत्व की सार्थकता का सशक्त प्रमाण भी है। ये कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य, नैतिक मूल्यों एवं सामाजिक उत्तरदायित्व की दिशा में उल्लेखनीय पहल के रूप में भविष्य के लिए प्रेरणा-स्त्रोत बनेंगे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि ज्ञान और शोध के क्षेत्र में सूचना की सहज उपलब्धता आज के युग की आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे अपने पुस्तकालयों को डिजिटल संसाधनों से सुसज्जित करें, जिससे विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं शिक्षकों को गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री सुलभ हो सके। इस समझौते के माध्यम से राज्य के विश्वविद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता में वृद्धि होगी और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोध से जोड़ने में सुविधा होगी।

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि विश्वविद्यालयों में प्रासंगिक, व्यवहारिक और समाजोपयोगी शोध को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर बल दिया कि किसान, महिलाएं, बच्चे, ग्रामीण क्षेत्र, स्वास्थ्य, रक्षा और समाज से जुड़ी वास्तविक समस्याओं की पहचान कर उनका समाधान खोजने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को गंभीर शोध कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने गुजरात में स्थापित राश्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (पूर्व नाम रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय) का उल्लेख करते हुए बताया कि इस विश्वविद्यालय के लिए भूमि का प्रबंधन उनके द्वारा किया गया था, और आज यह संस्थान रक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट विश्लेषण और अनुसंधान कार्य कर रहा है। भारत एक शांतिप्रिय एवं वसुधैव कुटुंबकम की भावना वाला देश है, लेकिन वर्तमान वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जहां युद्ध का वातावरण गहराता जा रहा है, वहां मजबूत रक्षा तंत्र और उससे जुड़ा शोध अत्यंत आवश्यक है। ब्रह्मोस जैसी परियोजनाएं इस दिशा में हमारी सक्षमता का प्रमाण हैं।

राज्यपाल जी ने कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालयों, हेल्थ सेंटर्स और शोध संस्थानों को पेटेंट और नवाचार की दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए। उन्होंने कोविड काल में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा अल्प समय में विकसित की गई वैक्सीन का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे पास साधन भी हैं, प्रतिभा भी है, यदि हम कमिटमेंट के साथ कार्य करें तो शोध के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बना सकते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि हमारे विश्वविद्यालयों की लाइब्रेरियों में उपलब्ध पांडुलिपियां यह प्रमाणित करती हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने अत्यंत उच्चकोटि का शोध कार्य किया था, जिसे आज पुनः जागृत करने और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

राज्यपाल जी ने कहा कि भारत सरकार देश को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने के लिए कार्य कर रही है, ऐसे में हमें भी इसमें सक्रिय सहयोग देना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों में पठन-पाठन की आदत विकसित करने, सकारात्मक अध्ययन वातावरण निर्मित करने तथा बारहवीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राजभवन में आयोजित भाषण प्रतियोगिता का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों की प्रतिभा की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही, विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में भाग लेने वाले प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों द्वारा बनाई गई चित्रकला की सराहना करते हुए कहा कि इन पेंटिंग्स में छिपे विचार अत्यंत प्रेरक होते हैं और इन बच्चों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। राज्यपाल जी ने यह भी प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश के दो कुलपति "पद्मश्री" जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से विभूषित किए गए हैं, जो प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।

राज्यपाल जी द्वारा Launch of Dashboard @ University of Uttar Pradesh, Rajbhawan, Lucknow भी किया गया।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव श्री राज्यपाल के डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने कहा कि राज्यपाल जी की प्रेरणा से आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान, शोध एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने बताया कि हाल ही में राज्यपाल जी की पहल पर नीति आयोग की बैठक भी इसी उद्देश्य से आयोजित की गई थी, जिसका लाभ अब विश्वविद्यालयों को मिल रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस समझौता ज्ञापन के क्रियान्वयन से न केवल विश्वविद्यालयों का शोध व नवाचार कार्य सुदृढ़ होगा, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान प्राप्त होगी।

इस दौरान सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र, गांधीनगर की निदेशक प्रो0 देविका पी0 मादल्ली तथा सीनियर साइंटिस्ट प्रो0 अभिशेक कुमार द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की सेवाएं विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय व रिसर्च सिस्टम को डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगी। उन्होंने बताया कि यह प्रणाली विश्वविद्यालयों को न केवल अपने शोध कार्यों का समुचित प्रबंधन करने में सक्षम बनाएगी, बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी प्रकाशनों की पहुँच को भी सुदृढ़ करेगी। इस सत्र के अंतर्गत विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लिया गया, जिसमें उन्होंने अपने-अपने संस्थानों से संबंधित तकनीकी व शोधगत प्रश्न रखे और प्रो0 देविका पी0 मादल्ली एवं प्रोफेसर अभिषेक कुमार से समाधान प्राप्त किए।

विशेष कार्याधिकारी शिक्षा डॉ0 पंकज एल जानी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुआ सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन राज्यपाल जी की दूरदर्शी सोच का परिणाम है। निश्चित रूप इसका लाभ प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों को होगा।

इस अवसर पर सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र के अधिकारी, सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति/निदेशक, कुलसचिव, आई क्यू एसी हेड, पुस्तकालयाध्यक्ष, रिसर्च निदेशक तथा विद्यार्थियों सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।

संपर्क सूत्रः

डॉ0 संगीता चौधरी,

सूचना अधिकारी, राजभवन

मो0ः 9161668080

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